अर्जुन और हैलोवीन का रहस्य

अर्जुन और हैलोवीन का रहस्य

हैप्पी हैलोवीन का जश्न मनाने के लिए, अर्जुन दौड़ते हुए आया,
विरिडियन की रात में, जैसे चाँद ने जादू बिखेरा।
जैक ओ'लॉण्टर्न ज्यूबली सज गई थी, उजाले में चमकती,
दूर-दूर तक बच्चों की हंसती आवाजें, जब छोटे-छोटे वे भटकते।

बच्चे पहनें थे शानदार कपड़े, रोबोटों से लेकर राजकुमारों तक,
शैतान और परियों की दुनिया, लंबी थी उनकी कतारें।
अर्जुन ने अपनी रेलवे कैप धारण की, और चल पड़ा,
अपने सपनों की ट्रेन के साथ, इस जश्न में कूद पड़ा।

पहला काम था, अंधेरे में भयानक भूलभुलैया,
जहां हर मोड़ पर चिड़ियाएँ गा रही थीं अपनी लय।
सामने आया एक रहस्य, संजीवनी का आह्वान,
"कहाँ हैं सारे कद्दू? क्यों लापता हैं ये सजीव जीव?"

अर्जुन ने सोचा और कहा, "चलो मेज़ पर जाएं,
कद्दू तो हमें यहीं मिलेंगे, चलो एक योजना बनाएं!"
धुंधली रोशनी में, हंसते हुएं और चकित नजरें,
एक-एक कर कद्दू की ओर बढ़ते, बढ़ते और चकित हुए अजनबी राहें।

कुछ दोस्तों के साथ में, साथ में मिलकर छुपे हुए सर्द रात में,
एक पेड़ के नीचे, एक कद्दू खड़ा था हंसते हुए।
अर्जुन ने पास जाकर कहा, "तुम कौन हो प्यारे कद्दू?"
वह बोला, "मैंने एक रहस्य छिपाया है, तुम मुझे खोज लो, हर तरह से यकीन कर लो!"

"कद्दू के भीतर एक बात है, जो दिलों को जोड़े,
बच्चों की हंसी में, प्यार की जोड़ी कढ़ा जाए।
इसे सुनकर, अर्जुन को मिल गई प्रेरणा,
'हमें प्यार और खुशी फैलाना है, यही है समर्पण का गहरा गहना।'

अर्जुन ने समझा, ये कद्दू नहीं है साधारण,
यह प्रेम और मित्रता का प्रतीक है, जो सबको खुश करे।
दीवाली-दीवाली जोरों से, सब जुटे और गाए,
एक दूसरे को मिठाइयाँ दीं, और ढेर सारी मस्ती की।

जज्बातों का जादू बिखर गया, वातावरण में सजीव रंग,
परिवार, मित्र और प्यार से भरी, यह रात थी अर्चन का एक छंग।
लेकर खुशी, लेकर मुस्कुराहटें, कद्दू रात्रि में ढल गई,
विरिडियन के जश्न में, अर्जुन की सच्चाई जगमगाई।

आसमान में तारे चमकते, जैसे खुद को संजीव करते,
हर साल की तरह, प्रेम से भरी यह रात हमें जोड़ती।
अर्जुन ने याद किया, किस्मत नहीं बल्कि प्यार होते हैं,
ट्रेन की तरह, जो मिलती जब सब एक दूसरे का हाथ थामते।

The End